
जन्म : पहली शताब्दी
मृत्यू : पहली शताब्दी
मूल स्थान : बेथसैदा
दर्शन ग्रीस, सीरिया और फ्रीगिया
प्रेरित फिलिप्पुस, यीशु मसीह के बारह शिष्यों में से एक था। वह गलील सागर के किनारे बसे एक नगर बेतसैदा का रहने वाला था । वह यहूदी धर्मग्रंथों और मूसा का धर्मशास्त्र के अच्छे जानकार थे। जब यीशु ने फिलिप्पुस से अपने पीछे होने के लिए कहा, तो वह तुरंत पहचान लेता है की यीशु वही है जिसके बारे में मूसा और अन्य भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणी की थी। यह भी कहा जा सकता है कि वह पहले प्रचारक थे। क्यूंकि यीशु के साथ परिचय के बाद वह तुरन्त अपने मित्र नतनएल के पास गया और उसे आकर यीशु को देखने के लिए निमंत्रित किया। इस प्रकार, उन्होंने एक और प्रेरित को यीशु के पास लाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
मसीह के सभी शिष्यों में, फिलिप्पुस सबसे अधिक सुलभ व्यक्ति प्रतीत होता है । कुछ यूनानी जो यरूशलेम में एक पर्व में आराधना करने आए थे, उन्होंने सबसे पहले फिलिप्पुस के पास जाकर पूछा, “श्श्रीमान्, हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं । ” यूहन्न रचित सुसमाचार में अभिलिखित पाँच हज़ार पुरुषों को खिलाने का सन्दर्भ से, बाइबल के विद्वान यह अनुमान लगाते हैं कि फिलिप्पुस यीशु और उनके शिष्यों के लिए उनकी मिशनरी यात्राओं के दौरान भोजन की व्यवस्था करने का प्रभारी रहा होगा।
बाइबल में यह दर्ज किया गया है कि अंतिम भोज के दौरान, फिलिप्पुस ने यीशु से पूछा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।” (यूहन्ना 14:8) उनके अनुरोध पर आश्चर्य होकर यीशु ने उत्तर दिया, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। (यूहन्ना 14:9) इससे पता चलता है कि हालाँकि फिलिप्पुस का मसीह का ज्ञान शुरू में सीमित था, फिर भी उन्हें धीरे-धीरे पूर्ण सत्य का एहसास हुआ। यह विषय पिन्तेकुस्त के दिन शेष शिष्यों के साथ पवित्र आत्मा प्राप्त करने के बाद जो सेवकाई किया उससे स्पष्ट होता है।
ऐसा कहा जाता है कि फिलिप ने सिथिया (मध्य यूरेशिया में एक क्षेत्र), सीरिया और फ्रीगिया (तुर्की) में सुसमाचार का प्रचार किया । चर्च के इतिहास के अनुसार, माना जाता है कि फिलिप को पत्थर मारकर मार डाला गया था।